हुआ समय विपरीत है
हुआ समय विपरीत है
हारे हुए की जीत है l
जो डर रहे थे जंगलों में,
अब नाच रहे हैं शहरों में
देख तमाशा मानव का
कूद रहे हैं नहरों में मानव तुम क्या हो ?जान लो खुद की सीमा पहचान लो ।
अपनी इच्छाओं के खातिर, जीवो का मर्दन छोड़ दो
तुमने तोड़ी सब मर्यादा,
किए हैं पशुओं से घृणित कार्य।
घर बैठे बैठे चेत लो,
कुछ नया सबक सीख लो
किए गए निज कृत्यों पर,
सब जीवो से क्षमा दान लो संपूर्ण विश्व के प्रति प्यार भर, निज जीवन को सुधार लो। आकाश सा ह्रदय कर ,
सब तारों को स्थान दो ।
जो समय विपरीत है ,
उसको तुम टाल दो।
हार जीत का प्रश्न हटा , जीत जीत को वार दो
ना समय विपरीत हो, ऐसा हमेशा कार्य दो
लेखन - तिवारी अभि