Mare nhi marega वह जन मारे नहीं मरेगा नहीं मरेगा

Avinash
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 वह जन मारे नहीं मरेगा नहीं मरेगा



जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है

तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है

जिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा है

जो रवि के रथ का घोड़ा है

वह जन मारे नहीं मरेगा

नहीं मरेगा

 

जो जीवन की आग जला कर आग बना है

फौलादी पंजे फैलाए नाग बना है

जिसने शोषण को तोड़ा शासन मोड़ा है

जो युग के रथ का घोड़ा है

वह जन मारे नहीं मरेगा

नहीं मरेगा


- केदारनाथ अग्रवाल(1911-2000) 

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