Deep tera damini दीप तेरा दामिनी mahadevi varma

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 दीप तेरा दामिनी / महादेवी वर्मा 


दीप तेरा दामिनी

चपल चितवन-ताल पर बुझ बुझ जला री मानिनी!

गन्धवाही गहन कुन्तल,

तूल से मृदु धूम-श्यामल,

घुल रही इनमें अमा ले आज पावस-यामिनी!


इन्द्रधनुषी चीर हिल हिल,

छाँह सा मिल धूप सा खिल,

पुलक से भर भर चला नभ की समाधि विरागिनी!


कर गई जब दृष्टि उन्मन,

तरल सोने में घुले कण,

छू गई क्षण भर धरा-नभ सजल दीपक-रागिनी!


तोलते कुरबक सलिल-धन,

कण्टकित है नीप का तन,

उड़ चली बक-पाँत तेरी चरण-ध्वनि-अनुसारिणी!


कर न तू मंजीर का स्वन,

अलस पग धर सँभल गिन गिन,

है अभी झपकी सजनि सुधि क्रन्दनकारिणी!


(सांध्यगीत 1936)

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