रख दिए तुमने नज़र में बादलों को साधकर,

Avinash
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रख दिए तुमने नज़र में बादलों को साधकर,



रख दिए तुमने नज़र में बादलों को साधकर,

आज माथे पर सरल संगीत से निर्मित अधर,

आरती के दीपकों की झिलमिलाती छाँव में,

बाँसुरी रखी हुई ज्यों भागवत के पृष्ठ पर।


उस दिन जब तुमने फूल बिखेरे माथे पर,

अपने तुलसी दल जैसे पावन होंठों से,

मैं सहज तुम्हारे गर्म वक्ष में शीश छुपा,

चिड़िया के सहमे बच्चे-सा हो गया मूक,

लेकिन उस दिन मेरी अलबेली वाणी में

थे बोल उठे,

गीता के मँजुल श्लोक ऋचाएं वेदों की



- धर्मवीर भारती

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