किसके लिए? किसके लिए?
हरिवंशराय बच्चन (एकांत संगीत)
जीवन मुझे जो ताप दे,
जग जो मुझे अभिशाप दे,
जो काल भी संताप दे, उसको सदा सहता रहूँ,
किसके लिए? किसके लिए?
चाहे सुने कोई नहीं,
हो प्रतिध्वनित न कभी कहीं,
पर नित्य अपने गीत में निज वेदना कहता रहूँ,
किसके लिए? किसके लिए?
क्यों पूछता दिनकर नहीं,
क्यों पूछता गिरिवर नहीं,
क्यों पूछता निर्झर नहीं,
मेरी तरह, चलता रहूँ, गलता रहूँ, बहता रहूँ
किसके लिए? किसके लिए?
- हरिवंशराय बच्चन (एकांत संगीत)