स्वाभिमानी स्वरोजगार
आज सुबह जब अखबार पढ़ते पढ़ते सोच रहा था की टांग खींचने मे हिन्दूस्तानी माहिर है, हिन्दूस्तानीयों की यही कमी उन्हे आगे नही बढने देती, आजकल एक पोस्ट बहुत तेजी से दौड़ रही है कि 5 साल पहले हर तीसरा आदमी प्रोपट्री डीलर था और आज सेनीटाईजर और मास्क का व्यापारी है और हम सभी हंसकर उसपर मजाक उङाते हुए उस आदमी को कमजोर कह रहे है जो अपनी मेहनत मजदूरी कर कमा कर खाना चाहता है बजाय कोई गलत काम करने के यदि कोई काम कर रहा है तो भाई इसमे गलत क्या है किसी के साथ धोखा तो नही कर रहा, किसी दूसरे के धन पर गलत नजर तो नही डाल रहा, कम से कम अपने परिवार को पालने के लिए समयानुसार एडजस्ट तो कर रहा है कहीँ चोरी- चकारी लूट-पाट या फिर किसी दूसरे के जमीन जायदाद तो नही कब्जा रहा, अपितु वो तो अपनी मेहनत कर कमा कर अपना परिवार का भरण पोषण तो करना चाहता है सोच की निद्रा को तोड़ती हुई धर्मपत्नी की मेन गेट से आवाज़ सुनाई दी - बाहर आओ,आपके देखने लायक सीन है मैंने कहा क्या हुआ बोली-आओ तो सही देखो, वेगनआर में आम बिक रहे हैं मैं उठ कर गया तो देखा एक वेगनआर में एक बंदा पीछे की सीट और डिक्की में लगभग 10-15 कैरेट आम के रखकर लाया था। एक तराजू गाड़ी में, उसके साथ उसका एक साथी था जो आवाज़ लगा रहा था "आम ले लो आम,100 के 2 किलो" आजकल सबके चेहरे पर मास्क होता है तो अचानक कोई पहचान में नही आता, लेकिन उस आम विक्रेता ने मुझे पहचान लिया
अरे सुनील भैया आप यहां रहते है क्या?? मैंने कहा- हाँ उसने थोड़ा मास्क नीचे किया तो तो मैं भी उसे पहचान गया वो कमल था "मैंने कहा अरे तू कबसे आम बेचने लगा,तेरा तो चश्मे का होलसेल का काम है बोला भाई-"इसी गाड़ी में चश्मे भरकर आस पास के गांवों में सप्लाई करने जाता था लेकिन लॉकडाउन की वजह से सारे गांव सील, शहर सील, अचानक हुए इस घटनाक्रम और लोकडाउन के बाद टेंशन सताने लगी कि कार की किश्त कैसे जाएगी, मकान भाड़ा कैसे दूंगा, घर का रोज़मर्रा का खर्च कैसे चलेगा। हम तो रोज़ कमा कर रोज़ खाने वाले आदमी है भैया, कोई बचत- सेविंग भी नही,कैसे चलेगा" मैंने कहा फिर??
बोला-सुनील भैया, सिर्फ 3 दिन घर खाली बैठा.और उसके बाद सोच लिया कि ऐसे नहीं चल पाएंगे। उसके बाद कृषि मंडी जाकर आम के 5 कैरेट लाया और पहले दिन 50 किलो आम बेच दिए 600/- मुनाफा हुआ 100-150 की गैस गई गाड़ी में फिर भी 400-450 बच गए फिर धीरे धीरे क्वांटिटी बढ़ाता गया अब लगभग 10 कैरेट"100 किलो" आम रोज़ बेच लेता हूँ आम 36-37 रु किलो मंडी से मिल जाता है 50/- किलो बेचता हूँ |1200-1300 मुनाफा हो जाता है रोज़ का अकेला गाड़ी चलाना , फिर उतारना फिर तोल के देना , आवाज़ लगाना , दिक्कत हो रही थी तो मौसी के लड़के प्रकाश को साथ ले लिया 200/- रोज़ उसको देता हूँ और लगभग 200 की गैस जल जाती है 800/- नेट बच जाते है रोज़ भैया वो बोलता जा रहा था मेरी आँखें फटी की फटी. इस लड़के ने मात्र 3 दिन में खुद को मानसिक रुप से मजबूत करके बिज़नेस कन्वर्शन कर लिया और खुद के साथ एक बंदे को रोजगार दे दिया और इधर मैं और मेरे जैसे देश के असंख्य मिडिल क्लास लोग बस अपने भविष्य की चिंता में घुले जा रहे है, आगे क्या होगा लेकिन हम सिर्फ चिंता कर रहे है एक्शन नही ऐसे विकट काल मे भी कमल अपनी ज़िम्मेदारियाँ अपनी कमाई से पूरी कर रहा है , कर्ज़े से नही, कोई शर्म नही की इसने की चश्मे का होलसेलर हूँ ,गली गली आम कैसे बेचूंगा ये एक छोटा सा उदाहरण था, अब आप और हम भी समझ लें पक्के से हमे तैयार रहना ही होगा एक बड़े बदलाव के लिए
*_इस लॉकडाउन के बाद कई बिज़नेस बिल्कुल खतम हो जाएंगे तो कई नए जन्म लेंगे,लक्ज़री से जुड़े सारे बिज़नेस ठप्प होंगे या धीमे हो जाएंगे,रूटीन खर्च निकालना मुश्किल होगा लेकिन बेसिक्स नीड्स और हाइजीन से जुड़े कई नए बिज़नेस डेवेलप होंगे_*
*'व्यापार मरता नही बस रूप बदलता है' हमको भी कमल की तरह निर्णय त्वरित लेने होंगे क्योंकि खर्चा कोई भी नही रुका है लेकिन कमाई का चक्का जाम है*
*जरूरी नहीं की सब कार लेकर आम बेचने निकल पड़े लेकिन अब आप अपने बिजनेस को कैसे कन्वर्ट करेंगे ये आपको सोचना है या हो सकता है जहां आप नौकरी करते थे वहां आपकी जरूरत ही नही रहे, वो संस्थान ही अपना व्यापार बदल लें तो फिर आपकी स्किल कहाँ काम आएगी,आप पर नौकरी जाने का खतरा आ जायेगा*
*आप खुद को नई परिस्थितयों के लिए मानसिक रूप से अभी से तैयार कर लें क्योंकि कोरोना खतम होगा और परेशानियां शुरू होंगी अभी तक सब इसलिए आराम से है क्योंकि सब रुका हुआ है बहुत बदलाव आएंगे जैसा पहले था वैसा अब कुछ नही रहने वाला*
*घर पर रहिए,दूरी बनाये रखिये,कोरोना से बचे रहिए,अभी लड़ाई बाकी है, अपनी जीत निश्चित है*