कृष्णा सोबती जीवन परिचय
कृष्णा सोबती (18 फरवरी 1925-25 जनवरी 2019) 【 उपन्यासकार / कहानीकार 】 |
परिचय :- कृष्णा सोबती अपनी साफ-सुधरी रचनात्मकता और अभिव्यक्ति के लिए जानी जाती हैं। इन्होंने हिन्दी की कथा-भाषा को अपनी विलक्षण प्रतिभा से अप्रतिम ताज़गी़ और स्फूर्ति प्रदान की है। कृष्णा सोबती ने पचास के दशक से ही अपना लेखन कार्य प्रारम्भ कर दिया था। इनकी पहली कहानी 'लामा' थी, जो 1950 ई. में प्रकाशित हुई थी।
सम्मान:-
1999 - 'कथा चूड़ामणि पुरस्कार'
1981 - 'साहित्य शिरोमणि पुरस्कार'
1982 - 'हिन्दी अकादमी अवार्ड'
2000-2001 - 'शलाका सम्मान'
1980 - 'साहित्य अकादमी पुरस्कार'
1996 - 'साहित्य अकादमी फ़ेलोशिप'
इसके अतिरिक्त इन्हें 'मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार' भी प्राप्त हो चुका है ।
रचनाएँ:-
कहानी संग्रह-
बादलों के घेरे - 1980
लम्बी कहानी (आख्यायिका/उपन्यासिका)-
डार से बिछुड़ी -1958
मित्रो मरजानी -1967
यारों के यार -1968
तिन पहाड़ -1968
ऐ लड़की -1991
•=> जैनी मेहरबान सिंह -2007 (चल-चित्रीय पटकथा; 'मित्रो मरजानी' की रचना के बाद ही रचित, परन्तु चार दशक बाद 2007 में प्रकाशित)
उपन्यास-
सूरजमुखी अँधेरे में -1972
ज़िन्दगी़नामा -1979
दिलोदानिश -1993
समय सरगम -2000
गुजरात पाकिस्तान से गुजरात हिंदुस्तान -2017 (निजी जीवन को स्पर्श करती औपन्यासिक रचना)
विचार-संवाद-संस्मरण-
हम हशमत (तीन भागों में)
सोबती एक सोहबत
शब्दों के आलोक में
सोबती वैद संवाद
मुक्तिबोध : एक व्यक्तित्व सही की तलाश में -2017
लेखक का जनतंत्र -2018
मार्फ़त दिल्ली -2018
यात्रा-आख्यान-
बुद्ध का कमण्डल : लद्दाख़